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वैदिक ग्राम

पारंपरिक गुरुकुल (डिग्री के साथ)

इस गुरुकुल में विद्यार्थियों को व्याकरण तथा संस्कृत साहित्य से जुड़ा हुआ शास्त्री आदि उपाधि के लिए अध्यापन किया जाएगा। साथ में विद्यार्थियों में अनेक प्रकार की योग्यताएं विकसित किए जाएंगे।

सभी विद्यार्थियों की प्रातः काल जागरण से लेकर रात्रि शयन तक एक आदर्श दिनचर्या रहेगी।

शारीरिक दृढ़ता हेतु विद्यार्थियों के लिए दौड़, दंड बैठक, आसान, मलखंभ, रस्सी मलखंभ आदि विभिन्न व्यायामों के साथ-साथ लाठी, तलवार, तीरंदाजी, भाला, राइफल शूटिंग आदि साधनों के प्रयोग का प्रशिक्षण तथा कुश्ती, कबड्डी, फुटबाल, जिमनास्टिक, आश्वारोहण, तैराकी आदि खेल का प्रशिक्षण यथा संभव दिया जाएगा।

विद्यार्थियों को भाषण, वाद-विवाद, संगीत, नृत्य, नाटक, कुम्हारी, लोहारी, सुलेखन, कृषि, गोपालन आदि विभिन्न शिल्प कलाओं का तथा दैनिक आवश्यकताओं की वस्तुओं का निर्माण का प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह निश्चित किया जाएगा की विद्यार्थी कम से कम 4-5 शिल्पों में निष्णात हो।

विभिन्न पारिस्थितिकी तन्त्रों के विषय में, उनके परस्पर समन्वय व मनुष्य के लिए उनके महत्व और उनको बिगाड़ने पर होने वाले दुष्परिणाम आदि का भी ज्ञान कराया जाएगा।

IAS आदि के लिए विशेष प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाएगी जिससे यह विद्यार्थी वर्तमान तंत्र के ऊंचे पदों में बैठकर जन सामान्य के लिए अत्यधिक हित कर सके।

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